रविवार, 18 अप्रैल 2010

मेरी कविता

दिन में सूरज निकलता है

शाम को सूरज ढलता 

रात में चन्दा आता है 

चाँद चांदनी लाता है 

तारे टिमटिम करते हैं 

मुझको बहुत लुभाते हैं

रात चांदनी होती है

हमको प्यारी लगती है

चन्दा मेरा मामा है

प्यार बहुत ही करता है|

   विष्णु कुमार कक्षा अभिव्यक्ति   ५ 

मेरी कविता

खुशबू आती हमें हंसाती 

फूल खिलता हमें महकाता 

बारिश आती छमछम 

हमें नचाती धमधम धाम

आकाश में बादल लहराते 

जिससे तारे चहक जाते

हम बच्चे हँसते-गाते

कभी बड़ों का दिल दुखाते

बड़े आते हमें समझाते

इसीलिये खुशिया आतीहमें हंसाती

फूल खिलता हमें महकाता 

और सबका मन लुभाता|

ये कविता प्रयास की अभिव्यक्ति की छात्रा कश्मीरी द्वारा लिखी गई है|

इस माह से अपनी बात पर प्रयास के बच्चों द्वारा लिखी कविता पोस्ट की जायेगी|

सोमवार, 8 जून 2009

छोटों का भी आत्मसम्मान होता है-


मैं एक छोटा बच्चा जरुर हूं,  मेरे हाथ पैर छोटे-छोटे है    और मै अभी आपके समान बडे-बडे काम कर नही ंसकता।कभी -कभी आप बडेलोग मेरी बात को बच्चो की बात मानकर नजर अन्दज कर देते है|मैं उस समय बहुत आहत होता हूं पर कुछ कर नहीं सकता। मेरा भी अपना आत्म सम्मान है , मैं भी चाहता हूं कि आप बडे लोग मेरी समस्याओं को समझें , मेरी बात पर ध्यान दें ।आपके द्वारा मुझेसमझे जाने पर बहुत खुशी मिलती है।

शुक्रवार, 5 जून 2009

हमें भी कुछ कहना हैं।

आप क्या कहना चाहते है?

हम सभी को प्रत्येक मुद्दे पर अपनी बात रखने की पूरी स्वतंत्रता है। दर असल अपनी बात कहने के लिये भी जिगर चाहिये। कई बार हम कुछ नहीं कहते पर मन ही मन बहुत भुनभुनाते रहते हैं। यदि हमारे अन्दर अभिव्यक्ति की क्षमता  नहीं है तो हम उसे विकसित अवश्य करें।कहकर और लिख कर अपने मन को खोला जा सकता है पर इस कार्य के लिये हमारा शब्द भंडार विस्तृत होना चाहिये ।हमें प्रयोग किये जाने वाले हर शब्द का शुध रूप जानना चाहिये।व्याकरण की दृष्टि से वाक्य शिथिल न हो। यदि हम अपनी अभिव्यक्ति में इन सभी निर्देशों का पालन करते हैं तो हमें निशिचत ही सफलता मिलेगी।