मैं एक छोटा बच्चा जरुर हूं, मेरे हाथ पैर छोटे-छोटे है और मै अभी आपके समान बडे-बडे काम कर नही ंसकता।कभी -कभी आप बडेलोग मेरी बात को बच्चो की बात मानकर नजर अन्दज कर देते है|मैं उस समय बहुत आहत होता हूं पर कुछ कर नहीं सकता। मेरा भी अपना आत्म सम्मान है , मैं भी चाहता हूं कि आप बडे लोग मेरी समस्याओं को समझें , मेरी बात पर ध्यान दें ।आपके द्वारा मुझेसमझे जाने पर बहुत खुशी मिलती है।
सोमवार, 8 जून 2009
शुक्रवार, 5 जून 2009
आप क्या कहना चाहते है?
हम सभी को प्रत्येक मुद्दे पर अपनी बात रखने की पूरी स्वतंत्रता है। दर असल अपनी बात कहने के लिये भी जिगर चाहिये। कई बार हम कुछ नहीं कहते पर मन ही मन बहुत भुनभुनाते रहते हैं। यदि हमारे अन्दर अभिव्यक्ति की क्षमता नहीं है तो हम उसे विकसित अवश्य करें।कहकर और लिख कर अपने मन को खोला जा सकता है पर इस कार्य के लिये हमारा शब्द भंडार विस्तृत होना चाहिये ।हमें प्रयोग किये जाने वाले हर शब्द का शुध रूप जानना चाहिये।व्याकरण की दृष्टि से वाक्य शिथिल न हो। यदि हम अपनी अभिव्यक्ति में इन सभी निर्देशों का पालन करते हैं तो हमें निशिचत ही सफलता मिलेगी।
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